नारी के कोमल संवेदना के विना जीवन अधूरा

कोमल संवेदना के विना जीवन ही नहीं जग भी अधूरा है। नारी का अस्तित्व वस्तुतः की आबादी तक सिमटा नहीं है बल्कि सम्पूर्ण आबादी उसी के गर्भ से जन्मती है। उसी के हाथों उसका लालन -पोषण होता है। नारी का त्याग और बलिदान भारतीय संस्कृति की अमूल्य निथि है। सीता, सावित्रीमार्गी और मैत्रेयी जैसी महान् नारियों ने इस देश को अलंकृत किया है। निश्चित ही महिला इस सृष्टि की सबसे सुन्दर कृति तो है ही, साथ ही समाज का सदृढ़ आधार भी है। वह जननी है, मातृत्व महिमा से मण्डित है। यह सहचरी है, इसलिए अर्धांगिनी के सौभाग्य से शृंगारित है। यह गृहस्वामिनी है, इसलिए अन्नपर्णा के ऐश्वर्य से अलंकृत है। यह शिशु की प्रथम शिक्षिका है, इसलिए गुरु की महिमा से गौरवान्वित है। महिला घर, समाज और राष्ट्र का आदर्श है। सशक्त महिला, सशक्त समाज की आधारशिला है उसके आगे बढने से देश आगे बढ़ता है। उसके रुक जाने या थीमा हो जाने से देश थम जाता है। इसलिए नारी मानव सृष्टि के विकास की सर्वोत्तम सीढ़ी है।