देवदासियों की समस्या के अतिरिक्त, जिस की जड़ें समाज द्वारा स्वीकृत परम्परा में निहित हैं, भारत में बाल वेश्यावृत्ति मुख्यतया आधुनिकता के कारण इतनी बढ़ गई है इस ने खतरनाक रूप धारण कर लिया है। देश में प्रति वर्ष बडी संख्या में चोरी-छिपे बालिकायें लाई जा रही हैं । एक समाचार के अनुसार, इनका सीधा सम्बन्ध पर्यटकों की बढ़ती हुई संख्या से है। तीसरे विश्व के कुछ अन्य देशों की तरह भारत में भी बाल वेश्यावृत्ति में वृद्धि संख्या आई है। यह समस्या का रूप धारण कर सकती है।
कुछ देशों के भारत के कतिपय सुविख्यात नगरों से परम्परा सम्बन्ध हैं और ये अवयस्क भारतीय बालिकाओं को खुले आम अथवा आसानी से विच्छेद्य विवाहों की आड़ में वेश्यावृत्ति में धकलने में सहायक होते हैं।
इस धंधे को अपनाने वाली बहुत सी अल्पवयस्क बालिकाओं का अपहरण कर लिया जाता है, अन्यों को शहर में विवाह अथवा अच्छी नौकरी का वायदा करके प्रलोभन द्वारा गांव के उनके घरों से बहका कर ले जाया जाता है। कुछ माता-पिता भी अपनी पुत्रियों को बेच देते हैं, क्योंकि वे उनके विवाह का खर्च नहीं उठा सकते। बम्बई में (आई.एस. गिलाडा तथा विजय ठाकुर द्वारा) कि अध्ययन से पता लगा है कि वेश्याओं के 98 प्रतिशत बच्च को अपना लेते हैं। इस समस्या की विकरालता तथा जिस बढ़ रही है उसे देखते हए अल्पवयस्क बालिकाओं की पापमय प्रथाओं से बचाने के लिए इस धंधे को तत्काल रोकने आवश्यकता है।