जायदाद बनी जंजाल उत्पीड़न के शिकार बुजुर्गों का

 


बुजुर्गों के साथ उनके बच्चे  मारपीट व गाली गलौज तक करते हैं। वे बजुर्गों को संपत्ति अपने नाम करवाने के लिए उन पर दबाव भी  डालते हैं। यही नहीं, जब किसी बिल्डर कंस्ट्रक्शन कंपनी की नजर बुजुर्गों की जायदाद पर पड़ती है, तो अक्सर कई मामलों में ये लोग नए हथकंडे अपनाकर उन्हें अपनी जायदाद कम कीमत पर बेचने के मजबूर करते हैं। पुलिस या तो तमाशबीन बनी रहती है या अक्सर इनसे मिलकर बुजुर्गों को मामला निपटाने के लिए कहती है। हेल्प एज इंडिया द्वारा किए गए सर्वे से यह भी सामने आया है कि संपत्ति के मामले में सबसे ज्यादा बुजर्गों का उत्पीड़न राजधानी के बसंत विहार, ग्रेटर कैलाश, गुलमोहर पार्कचित्तरंजन पार्क, फ्रेन्ड्स कालोनी, हौजखास, ग्रीन पार्क, लाजपत नगर, हाजखास, ग्रान पाक, लाजपत नगर, डिफेंस कालोनी जैसे पॉश इलाकों में होता है। दक्षिण दिल्ली के इलाकों में ज़्यादा बुजुर्ग उत्पीड़न के शिकार हैं। इन इलाकों के बेटे व बेटियां अपनी शानदार लाइफ स्टाइल के लिए बजर्गों से लगातार पैसों की मांग करती हैं । बुढ़ापे में बच्चों पर निर्भर होने के कारण लोग उनकी मांगों को ठुकारने में असमर्थ रहते हैं। उत्पीड़न के शिकार बुजुर्गों ने पुलिस व पद्धति पर विश्वास न होने, बच्चों भावनात्मक जुड़ाव व परिवार आदि के कारण शिकायत नहीं करते ।  मारपीट के अलावा और भी कई तरीके अपनाए जाते हैं  मसलन, उन्हें मित्रों, रिश्तेदारों से थलग कर दिया जाता है। अगर मिलना चाहें तो कह दिया जाता है बोल नहीं सकते। बुजुर्गों को पोते-मिलने-जुलने नहीं दिया जाता। ऐसे बुजगों बाहर घूमने नहीं दिया जाता । अपने ही घर में बेघर हो रहे हैं ये बुजुर्ग।