बाल दिवस पर विशेष...बाल अधिकार संरक्षण के बाद भी छीनता बचपन

भारत के संविधान में बच्चों तथा उनके अधिकारों को संरक्षण प्रदान किया गया है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा बाल अधिकार समझौते का अनुमोदन किया गया हैं कि हमारे सभी बच्चों को सुरक्षा और गरिमा के साथ जीने के लिए ऐसा सुरक्षित और ममता-भरा माहौल मिले, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ यह सुनिश्चित हो कि सभी बच्चे स्कूल जाएं. सुनिश्चित हा कि सभा बच्च स्कूल जाए.ब बच्चों का शोषण करने वालों को सजा देने के उपयुक्त कानून बनें, बच्चों के सामने मौजूद खतरों के बारे में समाज को जानकारी हो तथा सरकार, निवाचित जन-प्रातानाध अ समाज बाल संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर कारगर ढंग से ध्यान दें ताकि उनकी बेबसी को कम किया जा सके और अंततः उसे समाप्त किया जा सके। निर्वाचित जनप्रतिनिधियो के रूप में संसद सदस्यों तथा हमारे अन्य विधायी निकायों की बहुआयामी “बाल संरक्षण" मुहैया करने में महत्वपूर्ण भूमिका है। क्यों बच्चों को योन प्रताडना या मानसिक प्रताड़ना का शिकार , इतना आसान होता है? यौन शोषण के ऑकडे तो और भी चौंकाने वाले हैं। एक आधिकारिक अध्ययन से शात हआ है कि भारत मे लाखों  बच्चे वैश्यावृत्ति में संलग्न हैं।  कई बार बच्चे अपने परिवार के सदस्यों द्वारा ही . यौन दुर्व्यवहार का शिकार होते हैं। मासूम बच्चे कुछ समझ भी नहीं पाते और चपना मानसिक प्रताडना झेलते रहते हैं। बच्चों के ऊपर हो रहे इन अत्याचारों के कारणों पर चिंतन करना, बहुत आवश्यक है। आज की भागती-दौडती जिंदगी में, संयुक्त परिवारों का विघटन, माता-पिता की अति व्यस्तता, बच्चों का अधिक समय तक अकेले रहना, बच्चों की शोषण के प्रति अनभिज्ञता, आदि की वजह से भी बच्चों पर हो रहे अपराधों में वृद्धि हुई है। इसके अलावा कम उम्र में ही पढ़ाई का अधिक बोझ, अभिभावकों व शिक्षकों की महत्वकांक्षाएं मिल कर बच्चे का बचपन छीन लेती हैं।यह  दुःख की बात है कि आज भी हमारे देश में से अनेक बच्चे सामाजिक-आर्थिक तथा ऐतिहासिक कारणों से अनेक प्रकार के अभावों से ग्रस्त हैं और वे भेदभाव, उपेक्षा और शोषण के सहज शिकार हो जाते हैं। इनमें से बहुत से बच्चों के परिवार दूरदराज के इलाकों में रहते हैं, जिनके लिए आजीविका के साधन बहुत सीमित हैं और उन्हें बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं। कुछ अन्य, काम की __ तलाश में अपना घर-बार छोड़कर शहरों और नगरों में पलायन कर जाते हैं। ऐसी परिस्थितियों में, बच्चे देख-भाल के अभाव में तथा हिंसा, उपेक्षा और शोषण के कारण ऐसा माहौल  बहुत ही डरावना  है ।  वास्तव में यह एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है जिससे निपटने के लिए सभी सम्बद्ध लोगों को मिलजुल कर प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि सुरक्षित और खुशहाल जीवन जी सकें और अपनी क्षमता का पूर्ण उपयोग करते हुए अपना समुचित विकास कर सकें। सर्वविदित हो कि बच्चे हमारा भविष्य हैं, यदि इनकी रक्षा नहीं की जाएगी, तो देश व दुनिया का भविष्य उज्जवल नहीं हो सकता। वे हमारी नींव हैं और कमजोर नींव पर मजबत इमारत खडी नहीं हो सकती।