माँ

तुम्हारे होने से ही मतलब है हमारे होने का 


 मां को प्यारा सा गिफ्ट देने की तैयारी की है। फिर मां तो मा है। मौका कोई हो, उसे तो अपने बच्चों को दुलारने का, उन्हें उनके पसंदीदा पकवान खिलाने का बस बहाना चाहिए। इससे इतर दिल्ली में कई संस्थाएं है जहां मां के बगैर बच्चे रह रहे हैं। कई बच्चे तो ऐसे हैं जिन्होंने मां के दुलार को महसूसा तक नहीं। उधर, तिहाड़ जेल में कई महिलाएं हैं, जिनके 


                   


बच्चे उनसे अलग हैं। कुछ के साथ हैं भी तो सलाखों के पीछे वे क्या उत्सव मनाएं। घर से दूर रह रहे मां विहीन इन बच्चों, बच्चों के बगैर रह रही माताओं के लिए मदर्स डे के क्या मायने हैं । 



 


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