कश्मीर का दर्द या कश्मीर से दर्द

कश्मीर का दर्द या कश्मीर से दर्द



 


कश्मीर भारत का एक अभिन्न हिस्सा है ये बात सभी राजनेता कहते है। जब इस बात को हम सुनते है तो दिल खुश हो जाता है। दिल को थोड़ी देर ही सही पर दिलासा मिलता है की कश्मीर कभी भारत से अलग नही होगा लेकीन क्या एसा है?


कश्मीर को लेकर काफी सारें सवाल हमारें मन में आतें है लेकिन जिस तरह कश्मीर के हालात दिनों दिन खराब होते गयें है वैसे ही हमारें दिलों में भी कश्मीर का दर्द बढ़ता चला गया है। कश्मीर में आज जो भी हालात है उसकी वजह है। वहां पर धारा 370 औऱ आर्टिकल 35A का होना जिसनें कश्मीर को भारत से अलग कर दिया है ।  धारा 370 उन्हे अपना अलग राष्ट्र ध्वज रखनें का और अपना अलग संविधान रखने का अधिकार देता है इसके साथ ही इनके पास दोहरी नागरिकता का अधिकार भी मिला  है। 35A तो इन्हे अधिकार देता है की ये भारत के किसी भी जगह जा सकतें है और अपने लियें प्रॉपर्टी खरिद सकतें है लेकीन भारत का कोई नागरिक कश्मीर में जाकर वहां प्रॉपर्टी नही खरीद सकता है।


जब एक ही देश में दो संविधान हो दो राष्ट्रध्वज हो तो क्या हम ये केह सकतें है की कश्मीर भारत का हिस्सा है? इसी सोच को लेकर जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने सवाल उठाया था और बिना अनुमति के कश्मीर मे दाखिल हुए थे तो   उन्हे कश्मीर जेल में बंद कर दिया था और फिर संदिग्ध अवस्था में उनकी वहां मृत्यु हो गई। देश की जनता ने ये दर्द भी बर्दाश्त कीया ,1990 में कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से निकाला गया देश की जनता नें ये दर्द भी बर्दाश्त किया आये दिन कश्मीर के बार्डर पर सेना पर हमला हाल मेंं पुलवामा में सैनिको पर किया गया  हमला ,देश ने ये दर्द भी बर्दाश्त किया। ेलेकिन कश्मीर के नेता तो केहते है की जनता दर्द में है। पत्थरबाज तो मासूम नौजवान है।  एसे में सवाल ये ही आता है की कश्मीर का दर्द है या कश्मीर से दर्द है?


जबसे कश्मीर के राजा नें  कश्मीर राज्य  को भारत में विलय कर राज्य की कमान राजनेताओं को दी तब से लोगो नें अपनी स्वार्थ और संकिर्ण राजनीतिक वाली मानसिकता से एक तरफ तो कश्मीर को भारत से अलग करनें के षड़यंत्र रचें तो दुसरी तरफ भारत की मासूम जनता को दिलासा दिया  की कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है।


मेरा मानना है की जब तक हमें एसा नेतृत्व नही मिलेगा जो कश्मीर से धारा 370 और 35ए को खत्म करें तब तक ये समस्या खत्म नही होंगी। इसको खत्म  किसी भी  हाल में करना अनिवार्य है नही तो देश में ज्यादा  समय नही लगेगा कश्मीर को भारत से दस्तवेज के आधार पर अलग होने हमें स्वार्थ और  संकिर्ण मानसिकता को कभी राजनीति में सहयोग नही देना चाहियें ये देश की अस्मिता और उसकी सुरक्षा के लिये सबसे बड़े खतरनाक लोग है जिन्हे सिर्फ अपनी कुर्सी दिखती है। ये बात सच है की पेहलें पाकिस्तान भी भारत का हिस्सा हुआ करता  था लोकिन सिर्फ कमजोर नेतृत्व नें पाकिस्तान को भारत से अलग किया। अब वही स्थिति कश्मीर की है सत्ता की लालच में व्यक्ति भारत का अस्तित्व ही खत्म करनें में लगा हुआ हैं धारा 370 और 35ए को लेकर आज वर्तमान में राजनैतिक दल जिस तरिके सें बात करते है जो देश की सुरक्षा के लिये खतरा औऱ चुनौती है। एसा लगता है देश में राष्ट्र की एकता के लिये नही बल्की स्वहित की पूर्ति के लिये राजनीति हो रही है। कश्मीर को लेकर आज देश की 120 करोड़ की जनता जागरुक है। आये दिन पत्थरबाजो के हरकत नें कश्मीर में पाकिस्तान के जिन्दाबाद के नारो ने ये दर्द तो दे दिया है की कश्मीर के लोग और वहा की सरकार फायदा तो केन्द्रिय सरकार से लेती है लेकीन पड़ोसीयों का गुणगान कर भारत के लोगो को ही दर्द दे जाति है।