सिरसा में नारी शोषण मुक्त समाज 70 वा गणतंत्र दिवसपर नारी सभा का आयोजन

बेटा बेटी के रहने के लिए घर में दीवार नहीं तो मनों में क्यूं – इंदिरा मिश्रा




Posted on : January 27, 2019 By  

 



बेटा बेटी के रहने के लिए घर में दीवार नहीं तो मनों में क्यूं – इंदिरा मिश्रा

महिला सशक्तिकरण के लिये हर मां को अपने आप से करनी होगी शुरूआत
बेटी और बेटे के रहने के लिए घरों में दीवार नहीं तो मनों में दीवार क्यूं?-इंदिरा मिश्रा


विरेन्द्र चौधरी


सिरसा।26 जनवरी गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर श्री दीवान मेमोरियल पब्लिक स्कूल गांव खुईयां नेपाल सिरसा में नारी सभा का आयोजन एज्युकेशनल फोरम फाॅर वुमेन जस्टिस एंड सोशल वैलफेयर व दीवान मेमोरियल सोशल वैलफेयर एंड रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी के तत्वावधान में संयुक्त रूप से किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ मंगला कोहली एच ओ डी सफदरजंग हॉस्पिटल के प्रतिनिधि के रूप उपस्थित दर्ज कराई।
एज्युकेशनल फोरम फाॅर वुमेन जस्टिस एंड सोशल वैलफेयर की अध्यक्षा डा०इंदिरा मिश्रा ने कहा कि आज के दौर में नारी अपने को अबला ना मानें ।नारी देश में आधी आबादी है,फिर भी वो शोषण का शिकार हो रही है क्यूं? मनोवैज्ञानिक साइन्टिसट डाक्टर इंदिरा मिश्रा ने बताया कि महिला आज भी लड़की होने का दबाव महसूस करती है।इसके पीछे कारण बताती है कि आज भी मां बेटियों के मुकाबले बेटों को पहले खिलाना पंसद करती है,कपडे पहनाना ,शिक्षित बनाना पसंद करती है। बस यहीं गडबडी है।
डा०इंदिरा मिश्रा कहती है समाज में बेटियों से सेवा लेना पाप समझा जाता है। दहेज परम्परा के कारण बेटियां गर्भ में ही शोषित हो जाती है। इस शोषण में कहीं न कहीं प्यार भी होता ही है,प्यार का पैमाना कम हो ये अलग बात है।बहनों के लिए भाई का मोह भी खुद शोषण को जन्म देता है। महिला हिंसा के लिए सदियों से चली आ रही परम्परायें ही जिम्मेदार है।
एज्युकेशनल फोरम फाॅर वुमेन जस्टिस एंड सोशल वैलफेयर की इंदिरा मिश्रा ने आज सिरसा में ऐसी ही रुढिवादी परम्पराओं को तोड़ने और हिंसा के मुकाबले कैसे करें महिलाएं,के उद्देश्य को लेकर नारी सभा का आयोजन किया गया।
वुमेन जस्टिस की प्रमुख श्रीमती मिश्रा ने महिलाओं से सवाल पुछा ,क्या उन्होंने अपने बेटों और बेटियों के रहने के लिए बीच में ईटों की दीवार खींच रखी है ? अगर मकान में दीवार नहीं तो मनो में दीवार क्यूं खींचे बैठे हो ? बेटियों के साथ अपने आचरण में, व्यवहार में मांओं को बदलाव लाना होगा। जिस दिन मां ने बेटियों के प्रति व्यवहार में बदलाव लाना शुरू कर दिया, उसी दिन महिला हिंसा पर लगाम लगनी शुरू हो जायेगी।
संस्था की चेयरपर्सन ने महिलाओं से अपील की वे नारी सभा से बेटियों के प्रति अपने आचरण को बदल कर जायें, तभी बेटियां बेटे सी लगने लगेगी। मां की बदलती सोच के साथ ही बेटियों की सोच स्वतः बदलने लगेगी। बेटियों पर बाहरी हिंसा रोकने का सबसे ज्यादा कारगर है,हम अपनी सोच बदले। उन्होंने कहा सतयुग में भी नारी को अग्नि परीक्षा देनी पड़ थी,होलिका को भी अग्नि के बीच बैठना पडा था और उनकी जीत हुई थी।आज नारी के लिए अग्नि परीक्षा शिक्षा ही है।हमें अपनी बेटियों को शिक्षित बनाना ही होगा।इसकी शुरुआत हर मां को अपने से ही करनी होगी।
इस अवसर पर आज़ाद भारत कांग्रेस के कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष विरेन्द्र चौधरी,रिटायर्ड कर्नल मेहर सिंह दहिया, निर्मला दहिया, डॉ राजेश शौकीन ने अपने विचार प्रकट किये। अंत में इंदिरा मिश्रा ने मुख्य अतिथि डॉ मंगला कोहली का संदेश सुनाते हुए कहा डॉ मंगला कोहली नारी सशक्तिकरण की प्रेरणा स्रोत है।